New Year 2024-25 अब न कोई फलां ढिमका, हो चुका अवसा | हिंदी कविता

"New Year 2024-25 अब न कोई फलां ढिमका, हो चुका अवसान दिन का, मिट गई हस्ती तो देखा, बच न पाया एक तिनका, मिल गयी मिट्टी से मिट्टी, है अमर अवशेष किनका, नाद अनहद मधुर धुन में, बोल मीठे तिनक धिन का, चुका पाया कौन जग में, मां-पिता और गुरु ऋण का, जल प्रलय से बचे सृष्टि, किया धारण रूप हिम का, गया खाली हाथ 'गुंजन', रह गया अरमान दिल का, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra"

 New Year 2024-25 अब न कोई फलां ढिमका,
हो चुका अवसान दिन का,

मिट  गई  हस्ती तो  देखा,
बच न पाया  एक तिनका,

मिल  गयी  मिट्टी से मिट्टी,
है अमर  अवशेष किनका,

नाद  अनहद  मधुर धुन में,
बोल मीठे तिनक धिन का,

चुका  पाया  कौन  जग  में,
मां-पिता और गुरु ऋण का,

जल  प्रलय  से   बचे  सृष्टि,
किया धारण  रूप हिम का,

गया  खाली   हाथ  'गुंजन',
रह  गया अरमान  दिल का,
 --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra

New Year 2024-25 अब न कोई फलां ढिमका, हो चुका अवसान दिन का, मिट गई हस्ती तो देखा, बच न पाया एक तिनका, मिल गयी मिट्टी से मिट्टी, है अमर अवशेष किनका, नाद अनहद मधुर धुन में, बोल मीठे तिनक धिन का, चुका पाया कौन जग में, मां-पिता और गुरु ऋण का, जल प्रलय से बचे सृष्टि, किया धारण रूप हिम का, गया खाली हाथ 'गुंजन', रह गया अरमान दिल का, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' प्रयागराज उ०प्र० ©Shashi Bhushan Mishra

#हो चुका अवसान दिन का#

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