आस्था न हो कोई मतलब हो जिससे न हो कोई वास्ता फिर भ | हिंदी कविता

"आस्था न हो कोई मतलब हो जिससे न हो कोई वास्ता फिर भी हम पूजा करें यदि इसको कहते आस्था जानता है हृदय उससे भेंट न होगी कभी फिर भी हम सब चाहते वो बताए रास्ता हम समझते अपना उसको प्यार करते उम्र भर हृदय से स्वीकार करते हम हमेशा दासता नाम उसका है लबों पर दिल में उसकी आरजू मिल नहीं सकता वो बेखुद फिर भी दिल तलाशता ©Sunil Kumar Maurya Bekhud"

 आस्था
न हो कोई मतलब हो जिससे
न हो कोई वास्ता
फिर भी हम पूजा करें यदि
इसको कहते आस्था

जानता है हृदय उससे
भेंट न होगी कभी
फिर भी हम सब  चाहते
वो बताए रास्ता

हम समझते अपना उसको
प्यार करते उम्र भर
हृदय से स्वीकार करते
हम हमेशा दासता

नाम उसका है लबों पर
दिल में उसकी आरजू
मिल नहीं सकता वो बेखुद
फिर भी दिल तलाशता

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

आस्था न हो कोई मतलब हो जिससे न हो कोई वास्ता फिर भी हम पूजा करें यदि इसको कहते आस्था जानता है हृदय उससे भेंट न होगी कभी फिर भी हम सब चाहते वो बताए रास्ता हम समझते अपना उसको प्यार करते उम्र भर हृदय से स्वीकार करते हम हमेशा दासता नाम उसका है लबों पर दिल में उसकी आरजू मिल नहीं सकता वो बेखुद फिर भी दिल तलाशता ©Sunil Kumar Maurya Bekhud

#आस्था

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