पन्ने हज़ारों पलटे मैंने दर्द के पर ना मिला कहीं व | हिंदी शायरी

"पन्ने हज़ारों पलटे मैंने दर्द के पर ना मिला कहीं वो लफ़्ज़ था, के रह जाये आज अनकहा दिल का शायद तकदीर में यही दर्ज था। ©Akash Kedia"

 पन्ने हज़ारों पलटे मैंने दर्द के
पर ना मिला कहीं वो लफ़्ज़ था,

के रह जाये आज अनकहा दिल का 
शायद तकदीर में यही दर्ज था।

©Akash Kedia

पन्ने हज़ारों पलटे मैंने दर्द के पर ना मिला कहीं वो लफ़्ज़ था, के रह जाये आज अनकहा दिल का शायद तकदीर में यही दर्ज था। ©Akash Kedia

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