Unsplash पेड़ जितने थे उन्हें खा गया ये शहरी-करण अब | हिंदी शायरी

"Unsplash पेड़ जितने थे उन्हें खा गया ये शहरी-करण अब हवाओं से मुलाक़ात कहाँ मुम्किन है! ©Ghumnam Gautam"

 Unsplash पेड़ जितने थे उन्हें खा गया ये शहरी-करण
अब हवाओं से मुलाक़ात कहाँ मुम्किन है!

©Ghumnam Gautam

Unsplash पेड़ जितने थे उन्हें खा गया ये शहरी-करण अब हवाओं से मुलाक़ात कहाँ मुम्किन है! ©Ghumnam Gautam

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