बिखरा था जब हिन्दूस्तान संवारा उसने, सूई थी अनेक म | हिंदी शायरी

"बिखरा था जब हिन्दूस्तान संवारा उसने, सूई थी अनेक मगर पिरोया उसने। जिक्र हुआ जब जब गुनाहों का इस मुल्क में, आगे बढ़ाया संविधान को बस उसने। रवि।........ ©ravi parihar"

 बिखरा था जब हिन्दूस्तान संवारा उसने,
सूई थी अनेक मगर पिरोया उसने।
जिक्र हुआ जब जब गुनाहों का इस मुल्क में,
आगे बढ़ाया संविधान को बस उसने।

रवि।........

©ravi parihar

बिखरा था जब हिन्दूस्तान संवारा उसने, सूई थी अनेक मगर पिरोया उसने। जिक्र हुआ जब जब गुनाहों का इस मुल्क में, आगे बढ़ाया संविधान को बस उसने। रवि।........ ©ravi parihar

#RepublicDay

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