सुनसान शहर इतना क्यों है, इन्सान यहां से कहां गए।
खिलते थे अमन फूल जहां,वो चमन सुहाने कहां गए।
रात उदासी डगर है सूनी,
शोर नहीं है अब गलियों में।
कौन लुटेरा लूट गया सब,
आग लगा दी बगियों में।
पूछ रही अब सूनी आंखें, हंसते आंगन कहां गए।
इन्सान यहां से कहां गए।
©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
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