प्यासा मैं कब से बुझा दे मेरी प्यास अब - सूखी जमीं | हिंदी शायरी

"प्यासा मैं कब से बुझा दे मेरी प्यास अब - सूखी जमीं मैं आजा - बन जा मेरी बादल तू | रुका हुआ सा नदी ऐसे रुका आज मैं- मीला ले खुद में मुझे - बन जा सागर तू | है ना जिश़्म कि फिक्र - ना रुह़ की खबर है - ना दुआओं में कसर - ना ताबिज का असर है | इन हालातों से नीकाल लगा दे - अपनी ऑंखों की काज़ल तू | जैसे मेरी - काजल तू || -Ritu Raj ©Ritu Raj"

 प्यासा मैं कब से बुझा दे मेरी प्यास अब - सूखी जमीं मैं आजा - बन जा मेरी बादल तू |

रुका हुआ सा नदी ऐसे रुका आज मैं- मीला ले खुद में मुझे - बन जा  सागर तू |

है ना जिश़्म कि फिक्र - ना रुह़ की खबर है - ना दुआओं में कसर - ना ताबिज का असर है |

इन हालातों से नीकाल लगा दे - अपनी ऑंखों की  काज़ल तू |

         जैसे मेरी -  काजल तू ||


          -Ritu Raj

©Ritu Raj

प्यासा मैं कब से बुझा दे मेरी प्यास अब - सूखी जमीं मैं आजा - बन जा मेरी बादल तू | रुका हुआ सा नदी ऐसे रुका आज मैं- मीला ले खुद में मुझे - बन जा सागर तू | है ना जिश़्म कि फिक्र - ना रुह़ की खबर है - ना दुआओं में कसर - ना ताबिज का असर है | इन हालातों से नीकाल लगा दे - अपनी ऑंखों की काज़ल तू | जैसे मेरी - काजल तू || -Ritu Raj ©Ritu Raj

#Holi

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