प्यासा मैं कब से बुझा दे मेरी प्यास अब - सूखी जमीं मैं आजा - बन जा मेरी बादल तू |
रुका हुआ सा नदी ऐसे रुका आज मैं- मीला ले खुद में मुझे - बन जा सागर तू |
है ना जिश़्म कि फिक्र - ना रुह़ की खबर है - ना दुआओं में कसर - ना ताबिज का असर है |
इन हालातों से नीकाल लगा दे - अपनी ऑंखों की काज़ल तू |
जैसे मेरी - काजल तू ||
-Ritu Raj
©Ritu Raj
#Holi