बड़ी जद्दोजहद हो रही मेरे इम्तहान में
इक तरफ फर्ज
दूसरी तरफ मेरी हसरत है
दोनों आ खड़े हैं जंग के मैदान में !
फिर उस पल का क्या ?
जो मेरे लिए खास है !
देखता हूँ मेरी जिंदादिली किसके साथ है।
ऐ हसरत मुझको जीने दे
न सब्र के आंसू पीने दे
हालात फटे कुछ सीने दे!!
कुछ दिये जले हैं नए-नए
फैला दूर तक अंधेरा अभी बाकी है
उनकी रोशनी आसमा तक जाने दे
ठहरो होने को सवेरा अभी बाकी है
अपनी हसरत से बिछड़ा हूँ
मेरा हश्र देखो!
चेहरा खुद के सिवा दूर तक नहीं दिखता
फिर भी हूँ इंतजार में
मेरा सब्र देखो
(*SP GAUTAM)
©gautam gautam
#seagull हसरत