रासन,राष्ट्रवाद का कुछ यूं पक रहा है नियत गिर चुकी | हिंदी शायरी

"रासन,राष्ट्रवाद का कुछ यूं पक रहा है नियत गिर चुकी है मक्खियो सी मलाई पर और दरवाजे किचन का ढक रहा है खिचढ़ी सी खूबसूरत है ये वतन हमारा चिपकती है बर्तन से सोच, कोई बर्तन पटक रहा है"

 रासन,राष्ट्रवाद का कुछ यूं पक रहा है
नियत गिर चुकी है मक्खियो सी मलाई पर
और दरवाजे किचन का ढक रहा है
खिचढ़ी सी खूबसूरत है ये वतन हमारा
चिपकती है बर्तन से सोच, कोई बर्तन पटक रहा है

रासन,राष्ट्रवाद का कुछ यूं पक रहा है नियत गिर चुकी है मक्खियो सी मलाई पर और दरवाजे किचन का ढक रहा है खिचढ़ी सी खूबसूरत है ये वतन हमारा चिपकती है बर्तन से सोच, कोई बर्तन पटक रहा है

झूठा राष्ट्रवाद

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