गुमान गुनाह है साहब। संभलकर करना। ये आगाह भी न करत | हिंदी विचार

"गुमान गुनाह है साहब। संभलकर करना। ये आगाह भी न करता है। गुनाह करवा देता है। ©Narendra kumar"

 गुमान गुनाह है साहब।
संभलकर करना।
ये आगाह भी न करता है।
गुनाह करवा देता है।

©Narendra kumar

गुमान गुनाह है साहब। संभलकर करना। ये आगाह भी न करता है। गुनाह करवा देता है। ©Narendra kumar

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