तुम्हारे एहसास के"रंगो" से ही रंगीन है,
ये,मेरी हसीन ख़्वाबों की दुनिया!
फिर भला कैसे कहूँ,मैं ये,
कि तुझ बिन "बेरंग" है मेरी दुनिया!
मेरी तन्हाई में शामिल है,तुम्हारी "यादों" का रंग
भीड़ में भी खोई रहती हूं,तुम्हारे ख़यालों के संग!
खुशी के लम्हों में ठहरते हो, होंठों पर "गीत" की तरह
उदासी में भी शामिल हो संग "प्रीत" की तरह!
मेरी रुह में,शामिल हो अबीर-गुलाल की तरह
अपनी मांग में सजाया है तुम्हें,सिदूंर की तरह!
मैं धरा बनी रहूं,तुम "अबंर" से सदा छाएँ रहना,
भिगोना मेरा "मन"अपने प्रेम की बरसात से!
रुठना,मनाना तो है,सुख दुःख के"रंगो"की तरह
फिर चाहे,बनते बिगड़ते रहना "मौसम" की तरह।
©Srashti kakodiya..
#Holi