ओ संमुदर का शहर हैं जो अरमानो का मंजर हैं, तक्लीब | हिंदी शायरी Video

"ओ संमुदर का शहर हैं जो अरमानो का मंजर हैं, तक्लीब ख़्याबों से नहीं ख़्याईशो से हैं! किसी के मिलने से बिछड़ने से जिंदगी रुखती तो नहीं, बस सुकून से रातें कटती नहीं! 💱Shabdyog💱 💓💓💓 ©Yogesh More "

ओ संमुदर का शहर हैं जो अरमानो का मंजर हैं, तक्लीब ख़्याबों से नहीं ख़्याईशो से हैं! किसी के मिलने से बिछड़ने से जिंदगी रुखती तो नहीं, बस सुकून से रातें कटती नहीं! 💱Shabdyog💱 💓💓💓 ©Yogesh More

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