एहसास जमीन से उठाकर गोद में बैठाया तुमने हर बार | हिंदी Poetry

"एहसास जमीन से उठाकर गोद में बैठाया तुमने हर बार उछाल मारती बार-२ बचाया तुमने । कभी अजनबी तो कभी अपनो सी बन अपने होने का एहसास कराया तुमने । हर बार कोशिशें की गिराने की पर कभी झुकने तक ना दिया तुमने । कभी रोशनी तो कभी चांदनी रात में सही - गलत का पाठ पढा़या तुमने । ©Preeti Chauhan"

 एहसास 

जमीन से उठाकर गोद में बैठाया तुमने 
हर बार उछाल मारती बार-२ बचाया तुमने ।

कभी अजनबी तो कभी अपनो सी बन 
अपने होने का एहसास कराया तुमने ।

हर बार कोशिशें की गिराने की पर
कभी झुकने तक ना दिया तुमने ।

कभी रोशनी तो कभी चांदनी रात में 
सही - गलत का पाठ पढा़या तुमने ।

©Preeti Chauhan

एहसास जमीन से उठाकर गोद में बैठाया तुमने हर बार उछाल मारती बार-२ बचाया तुमने । कभी अजनबी तो कभी अपनो सी बन अपने होने का एहसास कराया तुमने । हर बार कोशिशें की गिराने की पर कभी झुकने तक ना दिया तुमने । कभी रोशनी तो कभी चांदनी रात में सही - गलत का पाठ पढा़या तुमने । ©Preeti Chauhan

एहसास

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