एहसास
जमीन से उठाकर गोद में बैठाया तुमने
हर बार उछाल मारती बार-२ बचाया तुमने ।
कभी अजनबी तो कभी अपनो सी बन
अपने होने का एहसास कराया तुमने ।
हर बार कोशिशें की गिराने की पर
कभी झुकने तक ना दिया तुमने ।
कभी रोशनी तो कभी चांदनी रात में
सही - गलत का पाठ पढा़या तुमने ।
©Preeti Chauhan
एहसास