कल राजा बनने वाले को आज वनवास जाना था,
खुद से लिखा नाट्य खुद को निभाना था |
वचन ही तो था, तोड देते...
पर कर्तव्य का अर्थ सबको बताना था |
इतने साल वन मे अपनो से दूर रहना था,
अज्ञात मोड पर अंजानो का संहार करना था |
कर्म ही तो था, छोड देते...
पर धर्म का अर्थ सबको सिखाना था |
रावण का दहन तो बस एक बहाना था,
वैकुंठ मे रचा हुआ खेल खेलना था |
अहंकार ही तो था, मुह मोड लेते...
पर सम्मान का अर्थ सबको दिखाना था |
©Tejz0560
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