Unsplash छोड़ा है परिंदा खुलीं फ़िज़ा में इस उम्मी | हिंदी Poetry

"Unsplash छोड़ा है परिंदा खुलीं फ़िज़ा में इस उम्मीद से, ढूँढेगा मेरी मुंडेर आख़िर में पुरसुकूँ के लिए। ©Ritu Nisha"

 Unsplash छोड़ा है परिंदा खुलीं फ़िज़ा में इस उम्मीद से, 
ढूँढेगा मेरी मुंडेर आख़िर में पुरसुकूँ के लिए।

©Ritu Nisha

Unsplash छोड़ा है परिंदा खुलीं फ़िज़ा में इस उम्मीद से, ढूँढेगा मेरी मुंडेर आख़िर में पुरसुकूँ के लिए। ©Ritu Nisha

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