वो भारत का रखवाला, तुम्हारे हक में दुवाएं पढ़ रही | हिंदी कविता

"वो भारत का रखवाला, तुम्हारे हक में दुवाएं पढ़ रही होगी हो मुस्तैद सीमा पर बहन घर रो रही होगी ले बंधन के धागे को तुम्हे वो तक रही होगी फिर ना उम्मीद हो करके बहुत वो रो रही होगी मगर एक सक्स कितने कर्तव्य को पूरा करेगा वो वतन का रखवाला वतन खातिर मरेगा पूरा गर एक को करे,तो दुजी छूट जायेगी तिरंगा माथ पर बंधे,तो राखी रूठ जायेगी ©Error"

 वो भारत का रखवाला,  तुम्हारे हक में दुवाएं पढ़ रही होगी
 हो मुस्तैद सीमा पर बहन घर रो रही होगी 
ले बंधन के धागे को तुम्हे वो तक रही होगी
फिर ना उम्मीद हो करके बहुत वो रो रही होगी
मगर एक सक्स कितने कर्तव्य को पूरा करेगा
वो वतन का रखवाला वतन खातिर मरेगा
पूरा गर एक को करे,तो दुजी छूट जायेगी
तिरंगा माथ पर बंधे,तो राखी रूठ जायेगी

©Error

वो भारत का रखवाला, तुम्हारे हक में दुवाएं पढ़ रही होगी हो मुस्तैद सीमा पर बहन घर रो रही होगी ले बंधन के धागे को तुम्हे वो तक रही होगी फिर ना उम्मीद हो करके बहुत वो रो रही होगी मगर एक सक्स कितने कर्तव्य को पूरा करेगा वो वतन का रखवाला वतन खातिर मरेगा पूरा गर एक को करे,तो दुजी छूट जायेगी तिरंगा माथ पर बंधे,तो राखी रूठ जायेगी ©Error

#saviour

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