White हाथों में न चूड़ियां
बिंदी न सिंदूर माथे पर
डाला था अचरज में मुझे
साहस न हुआ उस दिन
या बात मे किसी दिन
पूछ सकूं जो माजरा क्या है?
एक रोज सहसा जब
यथार्थ से तुम्हारे सामना हुआ
किन किन भावनाओं से गुजरा
महसूस हुआ जो
लिख सकता न बयां कर सकता हूं
एक मर्यादा शायद सीमा
में बंधा हुआ पाता हूं
चेहरे पर जो मुस्कान
बिखेर तुमने रखी है
पीछे की उसकी बेबसी
दर्द बस समझ पाता हूं!!
गौरव
©Yuvi
#love_shayari