" जिन्दगी तेरे निशां छोड़ते जा रहे हैं?
जो बाकी थे सवाल अंतर्मन में?
उनका जवाब ढूंढते जा रहे हैं?
आख़िर पता तो चले वक़्त को भी कि?
दिए तूने कैसे कैसे जख्म हमको?
दर्द से भर के इस जीवन को ?
किया कैसे कैसे सितम हमपे?
जिन्दगी तेरे निशां छोड़ते जा रहे हैं????
©@manya Kashyap
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