मुझे रोना तो आता है, मगर रोता नहीं हूँ मैं
जहाँ होता हूँ मैं अक्सर, वहाँ होता नहीं हूँ मैं
जिसे पाने की चाहत थी, उसे पाया नही मैने
जिसे खोना ज़रूरी है, उसे खोता नहीं हूँ मैं
मेरे बर्बाद होने पर किसी को रंज भी क्यूँ हो
अब अपने बाप का बेटा भी इकलोता नहीं हूँ मैं
ज़रूरत के मुताबिक कैसे खुद को सोप दूँ तुझको
किसी का इश्क़ हूँ अब, कोई समझोता नहीं हूँ मैं
खुली आँखो से सपनें देखता हूँ, आज कल आरिज़
कई सालों से शायद इस लिए सोता नहीं हूँ मैं
..
©D. J.
#alone zindagi sad shayari