अपना घर छोड़कर,
शहरों में नौकरी की तैयारी करने वाले लड़के भी
अपने घरों के राम है।
वो भी एक जगह पर अनिश्चित वनवास भोग रहे है।
राम की तरह वो भी भटक रहे है दरबदर नौकरी की तलाश में।
ये भी अपने माता-पिता के वियोग में अश्रु बहा रहे है।
इनके साथ कोई लक्ष्मण भी नहीं है जो निराश मन को हौसला दे सके ।
मुझे नहीं पता... ये राम अपने घर कब लौटेंगे..!!✨Shubh Pandit ✨ इलाहाबादी 💞
©Dharma pandit( Unbreakable)
#Books Satyam Singh Nîkîtã Guptā @–Varsha Shukla @gudiya (official) Mamta Verma