भटका पंक्षी वन-वन भटके , जैसे भटके तन का मन।। पाये | हिंदी विचार

"भटका पंक्षी वन-वन भटके , जैसे भटके तन का मन।। पाये न मंजिल तो मन को ढुंढे , जैसे ढुंढे स्व को स्वयं का मन। ©Narendra kumar"

 भटका पंक्षी वन-वन भटके ,
जैसे भटके तन का मन।।
पाये न मंजिल तो मन को ढुंढे ,
जैसे ढुंढे स्व को स्वयं का मन।

©Narendra kumar

भटका पंक्षी वन-वन भटके , जैसे भटके तन का मन।। पाये न मंजिल तो मन को ढुंढे , जैसे ढुंढे स्व को स्वयं का मन। ©Narendra kumar

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