White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी भाग 49 में आपका | हिंदी फ़िल्म

"White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी भाग 49 में आपका स्वागत है! बरसाती धूप पेड़ के पत्तों के बीच से झांक रहा था!कुछ चिड़ियों की टोली पेड़ के पत्तों पे जमे पानी के बुंदो को अपने होठों से छू छू कर खेल रहा था!कभी-कभी एक साथ कई सारे बूंद नीचे गिर जाते थे!जिससे ऐसा प्रतीत होता था, मानो जोर की बारिश शुरू हो गई हो! शिखा-मन में सोचती है दोपहर हो गई लेकिन अभी तक नंदू खाना खाने नहीं आये !लगता है उनका तबीयत फिर से खराब हो गया है!एक घंटा बित गया लेकीन नंदू का कोई थाह पता नहीं ! कुछ देर इंतजार करने के बाद, जब नंदू नहीं आता है, तो वह एक टिफिन में रोटी, दूध, सब्जी रख कर, सर पे दुपट्टा रखती हुई नंदू के क्वार्टर के तरफ निकल जाती है! वहां पहुंचकर दरवाजा खटखटाती है! नंदू-खाट पर पड़े-पड़े बोलता हैं, कौन हैं? शिखा- मैं हूं शिखा दरवाजा खोलीए, नंदू झटपट उठता है, अपना कपड़ा सही करता है, कुछ सामान वेसुधा स्थिति में पड़ होता है, उसे सही करता है, फिर दरवाजा खोलता है, चेहरे पर मुस्कान लेकर अंदर आने के लिए कहता है! शिखा टीफीन नंदू को देती हुई बोलती है! खाना खाने क्यों नहीं आऐ? ©writer Ramu kumar"

 White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी भाग  49 में आपका स्वागत है!

बरसाती धूप  पेड़ के पत्तों के बीच से झांक रहा था!कुछ चिड़ियों की टोली पेड़ के पत्तों पे जमे पानी के बुंदो  को अपने होठों से छू छू कर खेल रहा था!कभी-कभी एक साथ कई सारे बूंद नीचे गिर जाते थे!जिससे ऐसा प्रतीत होता था, मानो जोर की बारिश शुरू हो गई हो!


शिखा-मन में सोचती है दोपहर हो गई लेकिन अभी तक नंदू खाना खाने नहीं आये !लगता है उनका तबीयत फिर से खराब हो गया है!एक घंटा बित गया लेकीन नंदू का कोई थाह पता नहीं !

कुछ देर इंतजार करने के बाद, जब नंदू नहीं आता है, तो वह एक टिफिन में रोटी, दूध, सब्जी रख कर, सर पे दुपट्टा रखती हुई  नंदू के क्वार्टर के तरफ निकल जाती है!
वहां पहुंचकर दरवाजा खटखटाती है!
नंदू-खाट पर पड़े-पड़े बोलता हैं, कौन हैं?
शिखा- मैं हूं शिखा दरवाजा खोलीए,
नंदू झटपट उठता है, अपना कपड़ा सही करता है, कुछ सामान वेसुधा स्थिति में पड़ होता है, उसे सही करता है, फिर दरवाजा खोलता है, चेहरे पर मुस्कान  लेकर अंदर आने के लिए कहता है! शिखा टीफीन नंदू को देती हुई बोलती है!  खाना खाने क्यों नहीं आऐ?

©writer Ramu kumar

White सपनों की उड़ान-हिंदी कहानी भाग 49 में आपका स्वागत है! बरसाती धूप पेड़ के पत्तों के बीच से झांक रहा था!कुछ चिड़ियों की टोली पेड़ के पत्तों पे जमे पानी के बुंदो को अपने होठों से छू छू कर खेल रहा था!कभी-कभी एक साथ कई सारे बूंद नीचे गिर जाते थे!जिससे ऐसा प्रतीत होता था, मानो जोर की बारिश शुरू हो गई हो! शिखा-मन में सोचती है दोपहर हो गई लेकिन अभी तक नंदू खाना खाने नहीं आये !लगता है उनका तबीयत फिर से खराब हो गया है!एक घंटा बित गया लेकीन नंदू का कोई थाह पता नहीं ! कुछ देर इंतजार करने के बाद, जब नंदू नहीं आता है, तो वह एक टिफिन में रोटी, दूध, सब्जी रख कर, सर पे दुपट्टा रखती हुई नंदू के क्वार्टर के तरफ निकल जाती है! वहां पहुंचकर दरवाजा खटखटाती है! नंदू-खाट पर पड़े-पड़े बोलता हैं, कौन हैं? शिखा- मैं हूं शिखा दरवाजा खोलीए, नंदू झटपट उठता है, अपना कपड़ा सही करता है, कुछ सामान वेसुधा स्थिति में पड़ होता है, उसे सही करता है, फिर दरवाजा खोलता है, चेहरे पर मुस्कान लेकर अंदर आने के लिए कहता है! शिखा टीफीन नंदू को देती हुई बोलती है! खाना खाने क्यों नहीं आऐ? ©writer Ramu kumar

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