हुयी है शाम तो सपने सजाने का वक्त हो चला। उलझे हु | हिंदी Shayari Vide

"हुयी है शाम तो सपने सजाने का वक्त हो चला। उलझे हुए थे काम में मुस्कुराने का वक्त हो चला। देखते है ये लम्हा क्या क्या गुल खिलाता है लबो पे अब तो हर एक सय का इंतजार हो चला है।। शुभ प्रभात ©Mukesh Choudhary "

हुयी है शाम तो सपने सजाने का वक्त हो चला। उलझे हुए थे काम में मुस्कुराने का वक्त हो चला। देखते है ये लम्हा क्या क्या गुल खिलाता है लबो पे अब तो हर एक सय का इंतजार हो चला है।। शुभ प्रभात ©Mukesh Choudhary

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