लिख के फाड़ दिया करते है एहसासों की स्याही मुझ पर द | हिंदी कविता

"लिख के फाड़ दिया करते है एहसासों की स्याही मुझ पर दर्द उतार दिया करते हैं करके सब तुरपाई मुझ पर मैं कागज़ होता कोरा गर बरसाते है स्याही मुझ पर नीली, काली और न कितनी करते रोज छपाई मुझ पर मुझसे सारे काम बनाते फिर भी दया न आई मुझ पर लिख के फाड़ दिया करते हैं एहसासों की ...................।"

 लिख के फाड़ दिया करते है
एहसासों की स्याही मुझ पर
दर्द उतार दिया करते हैं
करके सब तुरपाई मुझ पर
मैं कागज़ होता कोरा  गर
बरसाते है स्याही मुझ पर
नीली, काली और न कितनी
करते रोज छपाई मुझ पर
मुझसे सारे काम बनाते
फिर भी दया न आई मुझ पर

लिख के फाड़ दिया करते हैं
 एहसासों की ...................।

लिख के फाड़ दिया करते है एहसासों की स्याही मुझ पर दर्द उतार दिया करते हैं करके सब तुरपाई मुझ पर मैं कागज़ होता कोरा गर बरसाते है स्याही मुझ पर नीली, काली और न कितनी करते रोज छपाई मुझ पर मुझसे सारे काम बनाते फिर भी दया न आई मुझ पर लिख के फाड़ दिया करते हैं एहसासों की ...................।

कागज..
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