पत्ते टूटे टहनी टूटी तने उखड़ते चले गए।
बिन पानी खेत हैं देखो कैसे सूखते चले गए।
दादा-दादी, नाना-नानी, प्यारे सारे संगी-साथी।
एक-एक करके सब मुझको छोड़ अकेला चले गए।
©HINDI SAHITYA SAGAR
पत्ते टूटे टहनी टूटी तने उखड़ते चले गए।
बिन पानी खेत हैं देखो कैसे सूखते चले गए।
दादा-दादी, नाना-नानी, प्यारे सारे संगी-साथी।
एक-एक करके सब मुझको छोड़ अकेला चले गए।
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