माना के चिड़िया धीरे धीरे तिनके से घोसला बनाती है | हिंदी Shayari

"माना के चिड़िया धीरे धीरे तिनके से घोसला बनाती है ,,, मगर न जाने जब तक घोसला नहीं बनता तब तक कहां रहती है ।।। हर शाम तक हार कर पंछी अपने नीड़ में लौट जाती है ,,, जाने तूफान जब तोड़ देता है बसेरा फिर वो कहां सर छुपाती है ।।। ©Gumnaam Alfaaaz by Nikhat Bano"

 माना के चिड़िया धीरे धीरे तिनके से घोसला बनाती है ,,,
मगर न जाने जब तक घोसला नहीं बनता तब तक कहां रहती है ।।।
हर शाम तक हार कर पंछी अपने नीड़ में लौट जाती है ,,,
जाने तूफान जब तोड़ देता है बसेरा फिर वो कहां सर छुपाती है ।।।

©Gumnaam Alfaaaz by Nikhat Bano

माना के चिड़िया धीरे धीरे तिनके से घोसला बनाती है ,,, मगर न जाने जब तक घोसला नहीं बनता तब तक कहां रहती है ।।। हर शाम तक हार कर पंछी अपने नीड़ में लौट जाती है ,,, जाने तूफान जब तोड़ देता है बसेरा फिर वो कहां सर छुपाती है ।।। ©Gumnaam Alfaaaz by Nikhat Bano

#Nightlight #gumnaam_alfaaz

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