रात भी होगी,अँधेरे को चीरती हुई एक सुबह भी होगी मं
"रात भी होगी,अँधेरे को चीरती हुई एक सुबह भी होगी
मंदिर में घंटी भी बजेगी,मस्जिद में अज़ान भी होगी
तुम इस शियासत की शतरंज से दूर रहो
तुम्हारा वज़ूद इंसानों के बीच में रहना है,
इंसानियत से ही तुम्हारी पहचान होगी.…..।
Sameer Mansoory"
रात भी होगी,अँधेरे को चीरती हुई एक सुबह भी होगी
मंदिर में घंटी भी बजेगी,मस्जिद में अज़ान भी होगी
तुम इस शियासत की शतरंज से दूर रहो
तुम्हारा वज़ूद इंसानों के बीच में रहना है,
इंसानियत से ही तुम्हारी पहचान होगी.…..।
Sameer Mansoory