एक आह भरी, कुछ अश्क बहे और शेर कहे। फिर रक़्श किए | हिंदी Shayari

"एक आह भरी, कुछ अश्क बहे और शेर कहे। फिर रक़्श किए, कुछ धूल उड़ी और खाक हुए। ahmed ata ©Asif"

 एक आह भरी, कुछ अश्क बहे और शेर कहे। 
फिर रक़्श किए, कुछ धूल उड़ी और खाक हुए।
ahmed ata

©Asif

एक आह भरी, कुछ अश्क बहे और शेर कहे। फिर रक़्श किए, कुछ धूल उड़ी और खाक हुए। ahmed ata ©Asif

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