"मरने की हसरत मे जिये जा रहा हूँ
जिंदगी एक जहर है पिये जा रहा हूँ
वों अब नहीं आयेगी लौटकर कभी
मै क्यों उसका नाम लिये जा रहा हूँ
मेरे गम कही मेरे साथ ही न मर जाए
सो हर शेर मे उन्हें जिंदा किये जा रहा हूँ
जिस्म के घावों को वक़्त पर छोड़ दिया
फिलहाल दिल के जख्म सिये जा रहा हूँ
और तों कोई आया नहीं मेरा हाल पूछने
मै खुद ही खुद को सांत्वना दिये जा रहा हूँ
____🖋️🖋️महेन्दर बाबू अल्मोड़ा!
©mahendra babu almora
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