वो शोर महफ़िलों की, मैं खामोशियों की आहट सा,
मैं शख्स एक बेचैन सा और वो शख्स कोई राहत सा ।
मैं जो ठुकराया गया हूं सारे जहान की महफिलों से,
एक वो है जो बन गया है सारे जहान की चाहत सा ।
अब तो कुछ भी नहीं मिलता हम दोनों के दरमियान यारों,
मैं उदास आंखों के आंसुओं सा,वो किसी मासूम की मुस्कुराहट सा।
@_ankaha_
@shikhar
©shikhar Singh
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