जो मौन न समझे, वह हमदर्द कैसा होगा, एक ही तरफ हो द | हिंदी शायरी

"जो मौन न समझे, वह हमदर्द कैसा होगा, एक ही तरफ हो दर्द, तो दर्द कैसा होगा ! तूफ़ान है भीतर उठा जो,दिल में दर्द कैसा होगा, कम हो न किसी मरहम से, वो मर्ज कैसा होगा ! ख़ामोशी है दिल की भाषा, मगर कौन बोलेगा, मेरे दिल के दर्दों को, भीतर से कौन खोलेगा ! चुप्पी का शोर है बहुत,दर्द बयां कैसे होगा, अनजान बना है हमदर्द, इतना बेबदर्द कैसे होगा ! मेरी रुह का अल्हड़, दिल की बेबसी कैसे जानेगा, मौन से भरा है मेरा जीवन,दिल की कैसे मानेगा ! रहस्यमय है तेरी आँखों के राज,इनको कौन खोलेगा, ए खुदा कोई तो हो, जो मेरे भीतर के दर्दों को बोलेगा ! ©Thakur Vivek Krishna"

 जो मौन न समझे, वह हमदर्द कैसा होगा,
एक ही तरफ हो दर्द, तो दर्द कैसा होगा !

तूफ़ान है भीतर उठा जो,दिल में दर्द कैसा होगा,
कम हो न किसी मरहम से, वो मर्ज कैसा होगा !

ख़ामोशी है दिल की भाषा, मगर कौन बोलेगा,
मेरे दिल के दर्दों को, भीतर से कौन खोलेगा !

चुप्पी का शोर है बहुत,दर्द बयां कैसे होगा,
अनजान बना है हमदर्द, इतना बेबदर्द कैसे होगा !

मेरी रुह का अल्हड़, दिल की बेबसी कैसे जानेगा, 
मौन से भरा है मेरा जीवन,दिल की कैसे मानेगा !

रहस्यमय है तेरी आँखों के राज,इनको कौन खोलेगा,
ए खुदा कोई तो हो, जो मेरे भीतर के दर्दों को बोलेगा !

©Thakur Vivek Krishna

जो मौन न समझे, वह हमदर्द कैसा होगा, एक ही तरफ हो दर्द, तो दर्द कैसा होगा ! तूफ़ान है भीतर उठा जो,दिल में दर्द कैसा होगा, कम हो न किसी मरहम से, वो मर्ज कैसा होगा ! ख़ामोशी है दिल की भाषा, मगर कौन बोलेगा, मेरे दिल के दर्दों को, भीतर से कौन खोलेगा ! चुप्पी का शोर है बहुत,दर्द बयां कैसे होगा, अनजान बना है हमदर्द, इतना बेबदर्द कैसे होगा ! मेरी रुह का अल्हड़, दिल की बेबसी कैसे जानेगा, मौन से भरा है मेरा जीवन,दिल की कैसे मानेगा ! रहस्यमय है तेरी आँखों के राज,इनको कौन खोलेगा, ए खुदा कोई तो हो, जो मेरे भीतर के दर्दों को बोलेगा ! ©Thakur Vivek Krishna

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