Unsplash 212 212 212 बेवफा मैं नहीं | हिंदी Shayari

"Unsplash 212 212 212 बेवफा मैं नहीं हूँ सनम खाके कहता तुझें हूँ क़सम प्यार तुमसे बहुत करते हैं याद आएंगे हम हर जनम झूठी मेरी मुहब्बत नहीं चाहेंगे तुमको यूं ही सनम फूलो को कितनी है बैचेनी ये ज़रा कहदो आएंगे हम आँखों मैं मेरे महबूब है जान अब तुम करो मत सितम है ग़रीबी अमीरी नहीं थोड़ा सा करना खुदपे क़रम लेखक - ज़ुबैर खान....….✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN"

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 बेवफा     मैं    नहीं    हूँ   सनम
 खाके   कहता  तुझें  हूँ   क़सम

 प्यार   तुमसे   बहुत   करते हैं
 याद  आएंगे   हम  हर  जनम

 झूठी     मेरी    मुहब्बत   नहीं
 चाहेंगे  तुमको  यूं   ही  सनम

 फूलो   को  कितनी  है  बैचेनी
 ये   ज़रा   कहदो  आएंगे   हम

 आँखों   मैं    मेरे    महबूब   है
 जान अब तुम करो मत सितम

 है    ग़रीबी      अमीरी    नहीं
 थोड़ा सा करना खुदपे  क़रम

लेखक - ज़ुबैर खान....….✍️

©SZUBAIR KHAN KHAN

Unsplash 212 212 212 बेवफा मैं नहीं हूँ सनम खाके कहता तुझें हूँ क़सम प्यार तुमसे बहुत करते हैं याद आएंगे हम हर जनम झूठी मेरी मुहब्बत नहीं चाहेंगे तुमको यूं ही सनम फूलो को कितनी है बैचेनी ये ज़रा कहदो आएंगे हम आँखों मैं मेरे महबूब है जान अब तुम करो मत सितम है ग़रीबी अमीरी नहीं थोड़ा सा करना खुदपे क़रम लेखक - ज़ुबैर खान....….✍️ ©SZUBAIR KHAN KHAN

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