देखा है जबसे तेरी लहराते जुल्फों को, सच कहते हैं | हिंदी कविता

"देखा है जबसे तेरी लहराते जुल्फों को, सच कहते हैं तबसे हम चैन और सुकून को तरस गए। बेपनाह मोहब्बत हो गई तुमसे एक दीदार पर, न जाने कैसे हम पत्थर थे फिर भी पिघल गए। अब हो गया हूँ मगरूर मैं भी तेरे इश्क में, एक तेरे सिवा कोई चाँद मुझे दिखता नहीं। खामोश ही रहकर सही इकरार कर ले मेरी मोहब्बत का, क्यूँकी बिन देखे तूझे अब मुझे चैन होता नहीं। ✍️✍️Radhe Shyam. ©Radhe Shyam"

 देखा है जबसे तेरी लहराते जुल्फों को, 
सच कहते हैं तबसे हम चैन और सुकून को तरस गए।
बेपनाह मोहब्बत हो गई तुमसे एक दीदार पर, 
न जाने कैसे हम पत्थर थे फिर भी पिघल गए।


अब हो गया हूँ मगरूर मैं भी तेरे इश्क में, 
एक तेरे सिवा कोई चाँद मुझे दिखता नहीं।
खामोश ही रहकर सही इकरार कर ले मेरी मोहब्बत का, 
क्यूँकी बिन देखे तूझे अब मुझे  चैन होता नहीं।
✍️✍️Radhe Shyam.

©Radhe Shyam

देखा है जबसे तेरी लहराते जुल्फों को, सच कहते हैं तबसे हम चैन और सुकून को तरस गए। बेपनाह मोहब्बत हो गई तुमसे एक दीदार पर, न जाने कैसे हम पत्थर थे फिर भी पिघल गए। अब हो गया हूँ मगरूर मैं भी तेरे इश्क में, एक तेरे सिवा कोई चाँद मुझे दिखता नहीं। खामोश ही रहकर सही इकरार कर ले मेरी मोहब्बत का, क्यूँकी बिन देखे तूझे अब मुझे चैन होता नहीं। ✍️✍️Radhe Shyam. ©Radhe Shyam

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