कोई खामोश तो कोई ज़ुबानी कह रहा है हर शख्स यहां अप | हिंदी शायरी

"कोई खामोश तो कोई ज़ुबानी कह रहा है हर शख्स यहां अपनी कहानी कह रहा है बहता तो नही मगर मैं मजबूर था बहुत ये मेरी आँख से निकला पानी कह रहा है उस कहो ये खुशी कही और जाकर करे वो जो इस शाम को सुहानी कह रहा है उसे छोड़ा था मैने उसी के खातिर मगर वो मेरे इस अमल को बेईमानी कह रहा है जिसने कहा था इश्क में फासले जरूरी है मेरी शक्ल को जानी पहचानी कह रहा है ©Aawesh Khan"

 कोई खामोश तो कोई ज़ुबानी कह रहा है
हर शख्स यहां अपनी कहानी कह रहा है

बहता तो नही मगर मैं मजबूर था बहुत 
ये मेरी आँख से निकला पानी कह रहा है

उस कहो ये खुशी कही और जाकर करे
वो जो इस शाम को सुहानी कह रहा है

उसे छोड़ा था मैने उसी के खातिर मगर
वो मेरे इस अमल को बेईमानी कह रहा है 

जिसने कहा था इश्क में फासले जरूरी है
मेरी शक्ल को जानी पहचानी कह रहा है

©Aawesh Khan

कोई खामोश तो कोई ज़ुबानी कह रहा है हर शख्स यहां अपनी कहानी कह रहा है बहता तो नही मगर मैं मजबूर था बहुत ये मेरी आँख से निकला पानी कह रहा है उस कहो ये खुशी कही और जाकर करे वो जो इस शाम को सुहानी कह रहा है उसे छोड़ा था मैने उसी के खातिर मगर वो मेरे इस अमल को बेईमानी कह रहा है जिसने कहा था इश्क में फासले जरूरी है मेरी शक्ल को जानी पहचानी कह रहा है ©Aawesh Khan

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