किस्मत या मेहनत?
दुई बेर भोजन बनायें अम्मा,
लें चटकारे बाबू जी..
जिम्मेदारियों में रमी सी अम्मा,
काज से कतरायें बाबू जी..
सारे घर को संभाले अम्मा..
देखें टीवी पैर पसारे बाबू जी..
खेतों में मजूरी कर कमाए अम्मा,
आदर्श पत्नी पाए बाबू जी..
देखकर श्री की कर्मठता को,
तनिक न लजायें बाबू जी..
सबसे मिलजुल कर रहें अम्मा,
तुनके तुनके से रहें बाबू जी..
बालकों को थोड़ा पढ़ाये अम्मा,
शिक्षा के खर्चे से पिछुआये बाबू जी..
गंभीर सदा से रहती अम्मा,
बात-बात पे ठहकी लगायें बाबू जी..
कभी मारे तो कभी दुलारे अम्मा,
गुस्से से भरे लाल गुब्बारे बाबू जी..
"बाबू जी" सी मिली थी अम्मा,
फिर भी बालकों को प्यारे बाबू जी..
राजधानी के बर्थ सी अम्मा,
पसेंजर की बोगी से बाबू जी..
सास ससुर की सेवा की अम्मा,
खूब नाम कमाए बाबू जी..
त्याग करते करते बुढाईं अम्मा,
तीन एकड़ की खेती पाए बाबू जी..
अब भी मेहनत कर खाती अम्मा,
अपनी किस्मत पे इतराते बाबू जी..
बेटे बहुओं से सहमी रहती अम्मा,
और उनपे भी हुकुम चलाते बाबू जी..
मेहनत से जीना सिखाती अम्मा,
किस्मत के जीवन्त उदाहरण बाबू जी..
Sapna✍️
©Chanchal's poetry
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