White इस शहर आकर भी तुम्हारे ख्याल में हूँ । जैसे | हिंदी Shayari

"White इस शहर आकर भी तुम्हारे ख्याल में हूँ । जैसे शाख से टूटे पत्ते उसी हाल में हूँ । सरका जब कांधे से सिर तुम्हारा मेरे ये सपना भी टूटा इसी मलाल में हूँ । निगाहों में अपनी मुझे यूँ कैद करना जैसे कैद किसी गणित के सवाल में हूँ । किसी जोगी सा फिरता जो दर बदर में लोग कहते हैं इश्क़ के जंजाल में हूँ । यूँ तो उसको हिचकियां आती नहीं थी सोचता हूँ अभी भी उसके ख्याल में हूँ ©Jishant ansari"

 White इस शहर आकर भी तुम्हारे ख्याल में हूँ ।
जैसे शाख से टूटे पत्ते उसी हाल में हूँ । 

 सरका जब कांधे से सिर तुम्हारा मेरे
 ये सपना भी टूटा इसी मलाल में हूँ ।

निगाहों में अपनी मुझे यूँ कैद करना
जैसे कैद किसी गणित के सवाल में हूँ ।

किसी जोगी सा फिरता जो दर बदर में
लोग कहते हैं इश्क़ के जंजाल में हूँ ।

यूँ तो उसको हिचकियां आती नहीं थी
सोचता हूँ अभी भी उसके ख्याल में हूँ

©Jishant ansari

White इस शहर आकर भी तुम्हारे ख्याल में हूँ । जैसे शाख से टूटे पत्ते उसी हाल में हूँ । सरका जब कांधे से सिर तुम्हारा मेरे ये सपना भी टूटा इसी मलाल में हूँ । निगाहों में अपनी मुझे यूँ कैद करना जैसे कैद किसी गणित के सवाल में हूँ । किसी जोगी सा फिरता जो दर बदर में लोग कहते हैं इश्क़ के जंजाल में हूँ । यूँ तो उसको हिचकियां आती नहीं थी सोचता हूँ अभी भी उसके ख्याल में हूँ ©Jishant ansari

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