अशआर कुछ तेरे नाम के लिखें। हमने भी शेर कुछ काम के | हिंदी लव

"अशआर कुछ तेरे नाम के लिखें। हमने भी शेर कुछ काम के लिखे। जो गुज़रे है तेरे पहलू में चंद घड़ियां। ज़िंदगी के लम्हें वो आराम के लिखे। हमें इंतज़ार ही नही किसी के जवाब का ख़त हमनें सब किसी बेनाम के लिखे। शुकूं-ए-कल्ब नहीं, दीद-ए-यार नहीं। दिल, ज़िगर, आंखे, बेकाम के लिखे। भरे जहां में इक आप ही मेरी दौलत हो। ज़र, ज़मीन जायदाद सब आम के लिखे। ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri""

 अशआर कुछ तेरे नाम के लिखें।
हमने भी शेर कुछ काम के लिखे।

जो गुज़रे है तेरे पहलू में चंद घड़ियां।
ज़िंदगी के लम्हें वो आराम के लिखे।

हमें इंतज़ार ही नही किसी के जवाब का
ख़त हमनें सब किसी बेनाम के लिखे।

शुकूं-ए-कल्ब नहीं, दीद-ए-यार नहीं।
दिल, ज़िगर, आंखे, बेकाम के लिखे।

भरे जहां में इक आप ही मेरी दौलत हो।
ज़र, ज़मीन जायदाद सब आम के लिखे।

©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri"

अशआर कुछ तेरे नाम के लिखें। हमने भी शेर कुछ काम के लिखे। जो गुज़रे है तेरे पहलू में चंद घड़ियां। ज़िंदगी के लम्हें वो आराम के लिखे। हमें इंतज़ार ही नही किसी के जवाब का ख़त हमनें सब किसी बेनाम के लिखे। शुकूं-ए-कल्ब नहीं, दीद-ए-यार नहीं। दिल, ज़िगर, आंखे, बेकाम के लिखे। भरे जहां में इक आप ही मेरी दौलत हो। ज़र, ज़मीन जायदाद सब आम के लिखे। ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri"

#mjaivishwa

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