जीवन क्या है एक छलावा,जिसमें सब ही छल जाते। माया क | हिंदी Poetry

"जीवन क्या है एक छलावा,जिसमें सब ही छल जाते। माया के बंधन में फँसकर,कागज़ सम सब गल जाते।। मान यहाँ जो भी पाता है,होता भी बदनाम वही। नहीं सफल वो हो पाते जो,यश-अपयश में भरमाते।।१ नहीं कभी जो फल की सोचें,कर्म यहाँ बस करते हैं। असाध्य लक्ष्य उनके न होते,वही सफलता वरते हैं। विकल्प पथिक अगर तुम चाहो,अटल संकल्प रखना है। बस कहने से कुछ ना होगा,हामी ही जो भरते हैं।२ ©Bharat Bhushan pathak"

 जीवन क्या है एक छलावा,जिसमें सब ही छल जाते।
माया के बंधन में फँसकर,कागज़ सम सब गल जाते।।
मान यहाँ जो भी पाता है,होता भी बदनाम वही।
नहीं सफल वो हो पाते जो,यश-अपयश में भरमाते।।१

 नहीं कभी जो फल की सोचें,कर्म यहाँ बस करते हैं।
  असाध्य लक्ष्य उनके न होते,वही सफलता वरते हैं।
  विकल्प पथिक अगर तुम चाहो,अटल संकल्प रखना है।
  बस कहने से कुछ ना होगा,हामी ही जो भरते हैं।२

©Bharat Bhushan pathak

जीवन क्या है एक छलावा,जिसमें सब ही छल जाते। माया के बंधन में फँसकर,कागज़ सम सब गल जाते।। मान यहाँ जो भी पाता है,होता भी बदनाम वही। नहीं सफल वो हो पाते जो,यश-अपयश में भरमाते।।१ नहीं कभी जो फल की सोचें,कर्म यहाँ बस करते हैं। असाध्य लक्ष्य उनके न होते,वही सफलता वरते हैं। विकल्प पथिक अगर तुम चाहो,अटल संकल्प रखना है। बस कहने से कुछ ना होगा,हामी ही जो भरते हैं।२ ©Bharat Bhushan pathak

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