जिसे कुदरत ने संवारा हो उसमे नुक्स निकालने की हिमा | हिंदी विचार

"जिसे कुदरत ने संवारा हो उसमे नुक्स निकालने की हिमाकत कौन करे, जिसे इश्क ने किया हो बीमार उसे , शिफा देने की जुर्रत कौन करे। बर्बाद हो गए खुद बददुआ देने वाले, जो खुद ही अपनी हस्ती मिटाए बैठे हो उन्हें आबाद कौन करे। (चाहत) ©Chahat Kushwah"

 जिसे कुदरत ने संवारा हो उसमे नुक्स निकालने की हिमाकत कौन करे,
जिसे इश्क ने किया हो बीमार उसे ,
शिफा देने की जुर्रत कौन करे।
बर्बाद हो गए खुद बददुआ देने वाले,
जो खुद ही अपनी हस्ती मिटाए बैठे हो उन्हें आबाद कौन करे।
(चाहत)

©Chahat Kushwah

जिसे कुदरत ने संवारा हो उसमे नुक्स निकालने की हिमाकत कौन करे, जिसे इश्क ने किया हो बीमार उसे , शिफा देने की जुर्रत कौन करे। बर्बाद हो गए खुद बददुआ देने वाले, जो खुद ही अपनी हस्ती मिटाए बैठे हो उन्हें आबाद कौन करे। (चाहत) ©Chahat Kushwah

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