सीता उस वक्त नहीं रोई जब विवाह उपरांत पिता का घर छ | हिंदी कविता

"सीता उस वक्त नहीं रोई जब विवाह उपरांत पिता का घर छुटा नहीं रोई जब गई राम संग वनवास लंका में रावण व्यवहार से भी तनिक न हुई विचलित पुनः फिर छूटा सुख-भोग पति से लिया वियोग राम का वनवास खत्म पर सीता पहुंची पुनः वनवास उस वक्त भी नहीं रोई पर रोई उस वक्त जरूर जब समा रही थी गोद में धरती मैय्या की उस दिन याद आ गये राजा जनक और अपने भाग्य को कोसती बेतहाशा रोई सीता मैय्या कि सब तो दिया पिता ने न दे पाये तो बस अच्छी किस्मत ! ! ©Nair Ara"

 सीता उस वक्त नहीं रोई
जब विवाह उपरांत पिता का घर छुटा
नहीं रोई 
जब गई राम संग वनवास 
लंका में रावण व्यवहार से भी
तनिक न हुई विचलित 
पुनः फिर छूटा सुख-भोग 
पति से लिया वियोग
राम का वनवास खत्म 
पर सीता पहुंची पुनः वनवास 
उस वक्त भी नहीं रोई 
पर रोई उस वक्त जरूर 
जब समा रही थी गोद में धरती मैय्या की 
उस दिन याद आ गये राजा जनक 
और अपने भाग्य को कोसती 
बेतहाशा रोई सीता मैय्या 
कि सब तो दिया पिता ने 
न दे पाये तो बस अच्छी किस्मत ! !

©Nair Ara

सीता उस वक्त नहीं रोई जब विवाह उपरांत पिता का घर छुटा नहीं रोई जब गई राम संग वनवास लंका में रावण व्यवहार से भी तनिक न हुई विचलित पुनः फिर छूटा सुख-भोग पति से लिया वियोग राम का वनवास खत्म पर सीता पहुंची पुनः वनवास उस वक्त भी नहीं रोई पर रोई उस वक्त जरूर जब समा रही थी गोद में धरती मैय्या की उस दिन याद आ गये राजा जनक और अपने भाग्य को कोसती बेतहाशा रोई सीता मैय्या कि सब तो दिया पिता ने न दे पाये तो बस अच्छी किस्मत ! ! ©Nair Ara

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