"चाहती हूं तुम्हारी ओर बड़ना
पर बड कर आगे
फिर रुक जाती हूं
सोचती हूं कहीं
फ़िर से कोई गलती ना कर दू
किसकी सुनूं समझ नहीं आता
दिमाग़ कहता है
सभल कर क़दम उठाना
दिल कहता है कि
बस तेरी ओर बढ़ती जाऊ.....!!!!"
चाहती हूं तुम्हारी ओर बड़ना
पर बड कर आगे
फिर रुक जाती हूं
सोचती हूं कहीं
फ़िर से कोई गलती ना कर दू
किसकी सुनूं समझ नहीं आता
दिमाग़ कहता है
सभल कर क़दम उठाना
दिल कहता है कि
बस तेरी ओर बढ़ती जाऊ.....!!!!