उलझन उलझन में है जीवन मेरा उलझी एक पहेली हूं जी | हिंदी कविता

"उलझन उलझन में है जीवन मेरा उलझी एक पहेली हूं जीवन के इस सफर में कितनी आज अकेली हूं ना कोई संग है ना किसी का साथ है जीवन की हर मोड़ पर बस गमो की बरसात है गम ही गम जीवन में है लगता है जैसे गमों की मैं सहेली हूं जीवन की इस सफर में कितनी आज अकेली हूं |"

 उलझन  उलझन में है जीवन मेरा
 उलझी एक पहेली हूं 
जीवन के इस सफर में
 कितनी आज अकेली हूं
 ना कोई संग है
 ना किसी का साथ है
 जीवन की हर मोड़ पर बस 
  गमो की बरसात है
 गम ही गम जीवन में है 
लगता है जैसे गमों 
की  मैं सहेली हूं
 जीवन की इस सफर में
कितनी आज अकेली हूं |

उलझन उलझन में है जीवन मेरा उलझी एक पहेली हूं जीवन के इस सफर में कितनी आज अकेली हूं ना कोई संग है ना किसी का साथ है जीवन की हर मोड़ पर बस गमो की बरसात है गम ही गम जीवन में है लगता है जैसे गमों की मैं सहेली हूं जीवन की इस सफर में कितनी आज अकेली हूं |

उलझन

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