जब पल्लवित नव पत्र होकर मुस्कुराता है.
जब गीत नूतन वर्ष का मौसम सुनाता है.
जब ब्रह्म खुद सृष्टि की रचना गढ़ने लगते हैं.
जब राम सिंहासन की ओर बढ़ने लगते हैं.
जब मिलकर समूची मेदिनी भी गुनगुनाती है.
जब कोकिला आकाश में गीतों को गाती है.
तब हम प्रकृति की गोद में घर को सजाते हैं.
चैत्रशुक्ल प्रतिपदा पक्ष हिन्दू नववर्ष मनाते हैं.
🚩🚩🚩हिन्दू नव वर्ष 🚩🚩🚩
©Shivesh Raja