रचना दिनांक छ,,10,,,10,,2024
वार,,, गुरूवार
समय सुबह ्््पांच बजे
््््निजं। विचार ््््
्््शीर्षक ््््
छायाचित्र में चल और अचल संपत्ति
मान कर चल सकें,,
अकूत संपत्ति में वृद्धि सम्रद्धि चाहता हो,,
प्यारा सा जीवन में मिला है,यह अनोखा आनंद
जो मानवता पर जीना चाहता है ््््
मां का अष्टम भाव में स्थित निश्चल भाव से,
शारदीय नवरात्र पर्व काल में अश्विन मासे शुक्ल पक्ष
अष्टमी तिथि पर शरद रीतु श्रीमुख से निकलने वाली,,
अग्नि परीक्षा प्रेम श्रद्धा प्यार समर्पण में सिर्फ,
त्वमेव त्वमेव माता महागौरी शाक्म्बरी दैवीय ,
शक्ति दिव्यता कोटीश्यं नमन वन्दंनीय है।।
मां महागौरी में महालक्ष्मी का दर्शन पा जाऊं यही मेरी कामना है ,
जो धरती पर साकार लोक सेवा भाव समर्पित करिष्यामि,,
एकादश भाव में निश्चल सत्य अदृश्य शक्ति दिव्यता में ,
एकादशी सुफल दायनी करिष्यामि नमन वन्दंनीय है।।।
मां यशोधरा यश तेजोमय दिव्य ज्योति प्रकट हो,,
अखण्ड दिव्य चक्षु खुल कर देख रही है।।
प्रेम मूर्ति प्रेम भूषण अज अनादि अनंत परिपूर्ण शब्दयोग,
महान शब्द शिल्पी शिल्पकार मन मोह लेती हैं।।।
तुम जगत में एक स्वर में प्रेम गान में एक स्वर में कहा है,,
सबमें अनूठा प्रभावी है,
जो धरती से अपनी रूह में वक्त और हालात में,,
जिससे हम जीवन में कुछ लगन से कार्य करने वाले ,
अच्छे से अच्छे संबंध से जुड़ा हुआ महसूस होने लगे तो
एक बार एक सार्थक प्रयास कर रहे हैं।।
मैं मां का स्वरूप में स्थित सोच में खोकर सपनो में,,
प्यार में डुब चुका हूं अन्तर्मन से मां आप मेरे को सहारा देकर
आत्म निर्भर बना सकती हो, मैं निर्धन व्यक्ति हूं।।
मां आपके श्रीचरणों में मुझे सीधे से आप अपने आप,
कोई ऐसा काम कर मेरे कारज पूर्ण करो।।
तूम मैं निर्रामूर्रख हूं,
मां आप की शक्ति ही मेरी ताकत बन सके।।
ऐसा कोई अभिप्राय ईश्वर से प्रार्थना मां मेरी चिंता आप दूर करो ,,
जो भी है वह सब कुछ तुम्हारे हवाले हैं।।
यह कथन सच्चाई है जिसे मैं जानता नहीं यह चुनौती हमारी,
अपनी रूह में गुजर रही है जो राह बनाई है।।
जिसमें मुझे सीधे से कोई राह दिखाई दे नहीं रही है ,,
आप ही जिंदगी में हो मेरी पहचान है यही आज है ,,
कल भी आपके श्रीचरणों में हूं काल के भाल पर जिंदगी है ,,
तुम्हारे हवाले श्री शैलेन्द्र आनंद जो चाहो,,
वो करो आप मा में तेरा लाल हूं।।
्््भावचित्र ््
्््््कवि शैलेंद्र आनंद
10,,,,10,,,2024,,,
©Shailendra Anand
#navratri भक्ति संगीत
कवि शैलेंद्र आनंद