कमलेश ऐसी राह पर चला हूँ,जहाँ कोई साथी न मिला राह | हिंदी शायरी Video

"कमलेश ऐसी राह पर चला हूँ,जहाँ कोई साथी न मिला राह में एक जंगल भी था ,जहाँ कोई शेर, हाथी न मिला। डर से भरा हुआ हूँ, पर अकेले चलना भी मजबूरी है यारा समझना भी है क्या जरूरी, क्या गैरज़रूरी है। प्रार्थना करते है सब, पर कोई भी प्रार्थी न मिला। कमलेश ऐसी राह पर चला हूँ,जहाँ कोई साथी न मिला सब जानते है जिंदगी भरी है बेइंतिहा सवालों से नई चाबी चाहिए हर रोज, कोई न बचा इन तालों से परीक्षा है जिंदगी माने सब, पर कोई परीक्षार्थी न मिला। कमलेश ऐसी राह पर चला हूँ,जहाँ कोई साथी न मिला ©Kamlesh Kandpal "

कमलेश ऐसी राह पर चला हूँ,जहाँ कोई साथी न मिला राह में एक जंगल भी था ,जहाँ कोई शेर, हाथी न मिला। डर से भरा हुआ हूँ, पर अकेले चलना भी मजबूरी है यारा समझना भी है क्या जरूरी, क्या गैरज़रूरी है। प्रार्थना करते है सब, पर कोई भी प्रार्थी न मिला। कमलेश ऐसी राह पर चला हूँ,जहाँ कोई साथी न मिला सब जानते है जिंदगी भरी है बेइंतिहा सवालों से नई चाबी चाहिए हर रोज, कोई न बचा इन तालों से परीक्षा है जिंदगी माने सब, पर कोई परीक्षार्थी न मिला। कमलेश ऐसी राह पर चला हूँ,जहाँ कोई साथी न मिला ©Kamlesh Kandpal

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