आए आने वाली नस्लों आए आने वाले लोगों
भोगा है हमने जो कुछ वो तुम कभी ना भोगो।
जो दुख था साथ अपने तुम से करीब ना हो
पीड़ा जो हमने झेली तुमको नसीब ना हो
जिस तरह भीड़ में हम जिंदा रहे अकेले
वो जिंदगी की महफिल तुमसे ना कोई लेले।
तुम जिस तरफ से गुजरो मेला हो रोशनी का
रास आए तुमको मौसम २५वी सदी का
हम तो सुकून को तरसे तुम पर सुकून बरसे
आनन्द हो दिलों में जीवन लगे सुहाना।
©SHEKHU BABA
##SAD life