उसके बालों पर गुलाब है ऐसे,
कोई बहुत पुरानी शराब हो जैसे।
नशे में बस वो याद रहता है मुझे,
कोई गहरा तालुककात हो जैसे।
निगाहें पड़ते ही जलने लगता हूं,
दोपहरी में चमकता आफताब हो जैसे।
नशे में सब भूल गया बस वो याद है,
मोहब्बत बेहद–ओ–हिसाब हो जैसे।
©shayaraash
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