सब्ज़ियों को देख रोटी मुँह फुलाती इस तरह।
जन्म-जन्मांतरों के सौत लड़ती जिस तरह।।
डुब जाए रोटियाँ सब्ज़ियों की ख़्वाहिश है।
उग जाने रोटियों में देखिये ज़ोर-आजमाईश है।।
सब्ज़ियों का रोटियों से मुहब्बत मुमकिन नहीं।
दूर रहती हैं ये जैसे साथ चीनी नमकीन नहीं।।
©Bharat Bhushan pathak
सब्ज़ियों को देख रोटी मुँह फुलाती इस तरह।
जन्म-जन्मांतरों के सौत लड़ती जिस तरह।।
डुब जाए रोटियाँ सब्ज़ियों की ख़्वाहिश है।
उग जाने रोटियों में देखिये ज़ोर-आजमाईश है।।
सब्ज़ियों का रोटियों से मुहब्बत मुमकिन नहीं।
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