White कभी कभी वहा भी बोल नही
फूट पाए जहाँ जरूरी था
अंतस् ने दुआएँ दी
और लगा पूरे हो गए मन्नत
कुछ एहसास गुप्त ऊर्जा लिए
डूब जाती है
कितने बार शीर्ष तक उभरती भी नअंद
पर क्या वाकई हमारे अंदर विकसित
अलौकिक शक्तियां फल को भी
गुप्त कर देती है
या सृष्टि उसे स्वीकार कर
सूर्य सा दीप्तिमान रौशनी का सृजन कर
भेद देती है उस प्रकृति रस के अंदर
©चाँदनी
#गुप्त एहसास