कुछ औरतें घुटती रहती हैं उन दीवारों के इर्द - गिर्

"कुछ औरतें घुटती रहती हैं उन दीवारों के इर्द - गिर्द जहाँ खिड़कियाँ तो हैं पर रोशनी का एक कतरा भी नहीं ... कुछ औरतें बनाती रहती हैं गोल - गोल रोटियाँ के साथ रंग - बिरंगे ख़्वाब ये जानकर भी कि इधर रोटी आँच पर जाएगी और ख़्वाब पानी में ... कुछ औरतें रगड़ती रहती हैं कपड़ों का हर एक छोर जोर से ये सोचकर कि निकाल देंगी अपनी टीस , कुंठा और सारा क्रोध पर फिर अचानक कपड़ो से गिरती बूंदों जैसे टिप - टिप कर किसी कोने में भिगो आती हैं अपने ही गाल ... कुछ औरतें पहनती हैं चटख रंग और नहीं भूलती माथे की बिंदी माँग का सिंदूर हाथों की चूड़ियां और पैर के बिछुए पर भूल जाती हैं अपनी ही खुशियाँ अपने ही वादे अपने ही लोग और अपनापन और कुछ औरतें लगा लेती हैं अंजाने में कभी अंजाने से दिल फिर उम्र बढ़ने की दुआ जाती है किसी और के हिस्से और साथ रहने की दुआ में किसी और के लिए चुपचाप उठाती हैं हाथ ©sonam"

 कुछ औरतें
घुटती रहती हैं
उन दीवारों के इर्द - गिर्द
जहाँ खिड़कियाँ तो हैं
पर रोशनी का एक कतरा भी नहीं ...

कुछ औरतें
बनाती रहती हैं
गोल - गोल रोटियाँ के साथ रंग - बिरंगे ख़्वाब
ये जानकर भी कि इधर रोटी आँच पर जाएगी
और ख़्वाब पानी में ...

कुछ औरतें रगड़ती रहती हैं
कपड़ों का हर एक छोर जोर से
ये सोचकर कि निकाल देंगी
अपनी टीस , कुंठा और सारा क्रोध
पर फिर अचानक कपड़ो से गिरती बूंदों जैसे
टिप - टिप कर किसी कोने में भिगो आती हैं अपने ही गाल ...

कुछ औरतें पहनती हैं चटख रंग
और नहीं भूलती
माथे की बिंदी
माँग का सिंदूर
हाथों की चूड़ियां
और
पैर के बिछुए
पर भूल जाती हैं
अपनी ही खुशियाँ
अपने ही वादे
अपने ही लोग
और अपनापन

और कुछ औरतें लगा लेती हैं
अंजाने में कभी अंजाने से दिल
फिर उम्र बढ़ने की दुआ जाती है किसी और के हिस्से
और साथ रहने की दुआ में किसी और के लिए
चुपचाप उठाती हैं हाथ

©sonam

कुछ औरतें घुटती रहती हैं उन दीवारों के इर्द - गिर्द जहाँ खिड़कियाँ तो हैं पर रोशनी का एक कतरा भी नहीं ... कुछ औरतें बनाती रहती हैं गोल - गोल रोटियाँ के साथ रंग - बिरंगे ख़्वाब ये जानकर भी कि इधर रोटी आँच पर जाएगी और ख़्वाब पानी में ... कुछ औरतें रगड़ती रहती हैं कपड़ों का हर एक छोर जोर से ये सोचकर कि निकाल देंगी अपनी टीस , कुंठा और सारा क्रोध पर फिर अचानक कपड़ो से गिरती बूंदों जैसे टिप - टिप कर किसी कोने में भिगो आती हैं अपने ही गाल ... कुछ औरतें पहनती हैं चटख रंग और नहीं भूलती माथे की बिंदी माँग का सिंदूर हाथों की चूड़ियां और पैर के बिछुए पर भूल जाती हैं अपनी ही खुशियाँ अपने ही वादे अपने ही लोग और अपनापन और कुछ औरतें लगा लेती हैं अंजाने में कभी अंजाने से दिल फिर उम्र बढ़ने की दुआ जाती है किसी और के हिस्से और साथ रहने की दुआ में किसी और के लिए चुपचाप उठाती हैं हाथ ©sonam

girls life # 🙂💙

#think

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